शुद्ध तेल को रिफाइन करने (जहरीली बनाने) की प्रक्रिया-
शुद्ध तेल
शुद्ध तेल में से फैटी एसिड को निकालने के लिए इसे सोडियम या पोटेशियम हाइड्रोक्साइड के साथ ट्रीटमेंट प्रक्रिया कराई जाती है।
अब शुद्ध तेल का वास्तविक स्वाद हटाने के लिए अब इसे फोस्फोरिक एसिड के साथ ट्रीटमेंट प्रकिया कराई जाती है।
अब शुद्ध तेल का रंग हटाने के लिए पुनः इसकी ब्लीचिंग अर्थ और कार्बन आयन के साथ प्रकिया कराई जाती है।
फैटी एसिड
अब इसको दूसरे प्रकार के फैटी एसिड में बदलने के लिए इसे साइट्रिक एसिड के साथ उच्च तापमान लगभग २०००८ (४५००१) पर पुनः ट्रीटमेंट प्रकिया कराई जाती है। जिससे इसका फंडामेंटल स्ट्रक्चर बदलकर एक नया फैटी एसिड तैयार होता है। इस प्रक्रिया को isomerization कहा जाता है। ये नया पैटी एसिड मानव के लिए लाभदायक नहीं है केवल स्वाद के लिए हम खाते हैं साथ ही उच्च तापमान के कारण अल्प मात्र में ट्रांस फैटी एसिड भी बनता है।
फैटी एसिड की कमी के कारण लीवर और किडनी की समस्या शुरू होने लगती है, शरीर का विकास घट जाता है, प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है। साथ ही डिप्रेशन और स्किन ड्राईनेस की समस्या शुरू हो जाती है।
फैटी एसिड की कमी के कारण गर्भवती महिलाओं में भ्रूण (गर्भस्थ शिशु) के विकास में बाधा • पहुँचती है उसके मष्तिष्क का विकास रुक जाता है। जिससे गर्भवती माता को बहुत अधिक कॉम्प्लीकेशन शुरु होती है।
रिफाइन
रिफाइन करने के दौरान तेल में से आवश्यक प्रोटीन कंटेंट खतम हो जाता है जो कि शरीर के लिए बहुत जरूरी है।
रिफाइन करने के दौरान तेल में से विटामिन जैसे आवश्यक घटक खतम हो जाते
रिफाइड प्रकिया शुद्ध तेल के दो आवश्यक फैटी एसिड, लिनोलिक और एल्फा लिनोलिक एसिड को हटा देता है। ये दोनों फैटी एसिड (ओमेगा-३ और ओमेगा -3) शरीर के ऊतकों (tissues) के सामान्य प्रचालन में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
खाना बनाने के लिए सबसे नुकसानदायक तेल
निम्न बीजों से प्राप्त खाने का तेल शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक है