भारतीय भोजन को सेहतमंद कौन बनाता है?
आपने देखा होगा कि भारतीय महिलाएँ अपने रसोई घर पर मालिकाना हक रखती हैं। मैं यही सोचती थी कि जब कोई उनकी रसोई में जाकर सामान को हाथ लगाता था या सब ओर बिखेर देता था। माँ को अच्छा क्यों नहीं लगता था। जब मेरा विवाह हुआ तो मैंने अपनी सासू माँ को भी ऐसे करते हुए देखा। जब मैंने अपनी रसोई का भार सँभाला तो मुझे अपने प्रश्न का उत्तर मिला। किसी महिला के लिए रसोई वह जगह होती है, जहाँ वह अपने पूरे परिवार की सेहत की देखरेख करती है। किसी भी भारतीय रसोईघर में देखें, वह सामान से भरी हुई, किंतु सुव्यवस्थित दिखेगी। दालें, अनाज, तेल, मेवे, दूध और दूध से बने उत्पाद, फल, सब्जियाँ व अंडे-सबकुछ सही ढंग से रखा दिखाई देगा। इसी से पता चलता है कि ऐसा क्या है, जो भारतीय आहार को स्वस्थ बनाता है।
यहाँ स्वस्थ आहार से जुड़े सभी खाद्य-पदार्थों को आहार में शामिल किया जाता है। अभी तक हमने अलग-अलग भोजन समूहों की बात की; किंतु भारतीय पाक-कला की व्यंजन विधियाँ बहुत अनूठी हैं, जिनमें विविध भोजन समूहों को शामिल किया जाता है। अगर आप ‘थाली’ परोसनेवाले होटल में जाएँ तो आप जान लेंगे कि भारतीय भोजन कितना विविध हो सकता है। हर राज्य की अपनी ही थाली होती है,
परंतु इसकी मूल संरचना लगभग एक जैसी होती है। इनमें निम्नलिखित को शामिल कर सकते हैं-
रोटी, भाकरी, पूड़ी, इडली या दोसा, चावल, खिचड़ी (अनाज-काबर्बोहाइड्रेट्स)।
दाल, रसम, साँबर, उसल (दालें, बींस, फलीदार पौधे प्रोटीन)।
सूखी व तरीदार सब्जी (मौसमी सब्जी-रेशे, विटामिन, खनिज लवण)।
पनीर, सब्जी, दही, छाछ (दूध व दूध से बने उत्पाद-प्रोटीन, कैल्सियम)।
रायता (दही, सब्जी)।
नारियल, धनिया, पुदीना, अलसी, मूँगफली और लहसुन की चटनी।
मीठा व्यंजन (दूध व दूध से बने उत्पाद, गुड़, चीनी और शहद)। अब यह देखें कि थाली में मौजूद इन भोजन समूहों की क्या विशेषता होती है।
1- रोटी, चपाती
इन्हें गेहूँ के आटे, नमक, तेल व पानी के मेल से बनाया जाता है। सामग्री को मिलाकर आटा गूंध लेते हैं और छोटे पेड़ों को चकले पर बेलकर रोटी तैयार की जाती है। फिर गरम तवे पर रोटी को पका दिया जाता है। ये कार्बोहाइड्रेट्स का भरपूर स्रोत हैं। भारतीय ज्वार, बाजरा आदि रेशे-युक्त अनाजों की रोटी भी खाते हैं। बाजरा, ज्वार या मक्का की रोटी बनाते समय तेल की जरूरत नहीं होती। आजकल लोग दो-तीन अनाज मिलाकर या आटे में सोया मिलाकर आटे को और भी पौष्टिक बनाने लगे हैं।

2- चावल
चावल दक्षिण भारत, असम व कश्मीर का प्रमुख आहार है। यह स्टार्च से भरपूर होता है। इसमें कम मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है और वसा, आयरन एवं कैल्सियम की मात्रा नहीं होती। हमें सफेद चावल की बजाय उसका भात खाना चाहिए। इसमें चोकर के पौष्टिक गुण भी मौजूद होते हैं। इस तरह अनाज की पौष्टिकता और भी बढ़ जाती है।

3- ब्राउन चावल की ओर आओ
ब्राउन चावल को चावलों में सबसे अधिक पौष्टिक माना जाता है, क्योंकि इसमें अंदरूनी परत नष्ट नहीं होती, जिसे ‘राइस ब्रान’ कहते हैं और यह अतिरिक्त आहार रेशा, विटामिन, खनिज लवण और प्रोटीन प्रदान करता है। आजकल इसे इसके पौष्टिक मूल्य के कारण बहुत पसंद किया जा रहा है। आपको अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए सफेद से ब्राउन चावल, चीनी और ब्रेड के इस्तेमाल पर आ जाना चाहिए।
चावल पकाना बहुत आसान है। बस, वांछित मात्रा में चावल लें और दुगुना पानी डालकर उसे प्रेशर कुकर में सीटी दिलवा दें।
चावलों में सब्जियाँ, लहसुन, अदरक तथा मसाले डालकर पौष्टिक व्यंजन तैयार किए जा सकते हैं। इसमें खुशबू और अतिरिक्त पौष्टिकता दोनों ही पाए जाते हैं।

4- दालें और दलहन
दालें और दलहन व बॉस, जैसे-राजमा, मोठ, काबुली, काले चने, साबुत मूंग आदि प्रोटीन, कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स तथा कई प्रकार के विटामिन और खनिज लवण के भंडार होते हैं, जो हमारी अच्छी सेहत को बनाए रखने में सहायक होते हैं। अधिकतर करी वाली सब्जियों में इन्हें ही शामिल किया जाता है, जिन्हें स्वाद बनाने के लिए तेल और क्रीम की आवश्यकता होती है। परंतु इन्हें भी मसाले, दही व दूध आदि के इस्तेमाल से अधिक स्वाद व पौष्टिक बना सकते हैं।
मसूर की दाल को टमाटर, काला नमक डालकर उबालें और थोड़े घी, कढ़ी पत्ता, जीरा, हींग व साबुत मिर्च का तड़का दे दें। इसे हरा धनिया छिड़ककर गरम परोसें। यह गैर-सेहतमंद या मोटा करनेवाला कैसे हो सकता है?

5- सब्जियाँ
भारतीय व्यंजनों में सब्जियों का प्रयोग बहुतायत में होता है। कैलोरी की कम मात्रा तथा रेशे, विटामिन और खनिज लवणों की अधिक मात्रा ही उन्हें पौष्टिक भोजन समूह का हिस्सा बनाती है।
आपको सलाह दी जाती है कि दिन में सब्जी, सलाद, सूप, रायता या जूस के रूप में अलग-अलग तरह से सब्जी की सर्विंग लेनी चाहिए। सब्जियों में पाया जानेवाला घुलनशील और अघुलनशील रेशा पेट को साफ रखता है। लाल, संतरी और पीले रंग की सब्जियों में भरपूर एंटी-ऑक्सीडेंट तत्त्व पाए जाते हैं, जो वजन घटाने में सहायक हैं। बीटा कैरोटिन (beta carotene) और विटामिन सी व ई फ्री रैडिकल्स (free radicals) अथवा कंदमूल से लड़ते हुए कैंसर से बचाव करता है।

6- फल
फल भले ही महँगे हों, किंतु इनसे सेहत को होनेवाले लाभ को अनदेखा नहीं किया जा सकता। आपको हर भारतीय घर में केला मिलेगा, परंतु मौसमी फलों को भी अहमियत दी जानी चाहिए। फलों में कुदरती मिठास पाई जाती है, जिससे वे मीठे होते हैं। ये रेशे, विटामिन और खनिज लवण से भरपूर होते हैं। वैसे, फल खाते समय भी थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए। उचित समय पर उचित फल की उचित मात्रा से ही अधिकतम लाभ पाया जा सकता है।
दिन में दो या तीन फल खाने चाहिए। भोजन के साथ फलों का सेवन न करें। इससे ब्लड शुगर के स्तर में अचानक बढ़ोतरी हो सकती है। और इंसुलिन प्रतिरोध के कारण अतिरिक्त शुगर शरीर में वसा बनकर जमा होगी। मधुमेह रोगियों को उच्च रेशे-युक्त फल खाने चाहिए, ताकि ब्लड शुगर का स्तर काबू में रहे और उस पर अचानक दबाव न आए।
फल खाने का रहस्य
फलों को खाली पेट खाएँ; कभी खाने के साथ या खाने के बाद न खाएँ। ताजे फल और उनके रस लें, डिब्बाबंद या बोतल में मिलनेवाले जूस न लें। ताजे फलों के जूस को धीरे-धीरे पीतें हुए अपनी लार में मिलने दें और फिर उसे निगलें। अगर हम सही मात्रा में उचित समय पर उचित प्रकार का फल खाएँगे तो उससे भरपूर लाभ उठा सकते हैं। ये बालों को सफेद होने से बचाते हैं, आँखों के नीचे काले घेरे नहीं पड़ने देते, ऊर्जा के स्तर को बढ़ाते हैं और हमारी त्वचा के लिए भी बहुत अच्छे हैं।

7- दूध और दूध से बने उत्पाद
प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स व कैल्सियम से भरपूर दूध भारतीय आहार का प्रमुख अंग है। पनीर, छाछ और दही भी मलाई रहित दूध से बनते हैं। ये तीनों भी भारतीय आहार का प्रमुख अंग हैं। कुछ ऐसे मीठे व्यंजन भी हैं, जो दूध से बनाए जाते हैं। इनका सेवन नियमित रूप से नहीं किया जाना चाहिए।

8- रायता
आप भारत के अलग-अलग हिस्सों में यह व्यंजन पाएँगे। खीरा, गाजर, चुकंदर, टमाटर, मूली व प्याज आदि सब्जियों को बारीक काटकर दही में मिलाने से रायता बनता है। इसमें स्वाद बढ़ाने के लिए नमक, चीनी और हरी मिर्च भी मिला सकते हैं। रायता परोसने से पहले धनिए से सजावट की जाती है। यह एक साइड डिश है, जो भोजन को रेशा और प्रोटीन प्रदान करती है।
यह केवल सहायक व्यंजन नहीं है। आप इसे केवल भारतीय सहायक व्यंजन नहीं मान सकते। इसे भारतीय भोजन के साथ परोसे जाने का भी एक कारण है। हर मसाले की तरह रायता भी एक काम करता है। इसे दही से बनाया जाता है, जो प्रोटीन देने के साथ-साथ पेट के लिए भी अच्छा होता है। यह कुदरती तौर पर शीतल होने के कारण भोजन का बेहतर पाचन करता है। इसे उन व्यंजनों के साथ विशेष रूप से परोसा जाता है, जिन्हें हजम करना थोड़ा मुश्किल होता है, जैसे बिरयानी !

9- चटनी
भारतीय व्यंजनों में सूखी या रसादार चटनी भी दाल-रोटी, दाल-चावल, इडली-डोसा, रोटी व सब्जी के साथ परोसी जाती है। मूँगफली, अलसी, पुदीना, धनिया, तिल, कोकुम व नारियल से कई तरह की चटनियाँ तैयार की जाती हैं। सूखी चटनी बनाने के लिए प्रमुख सामग्री को भूनें और उसमें अपनी मरजी के मसाले मिला दें। आप चाहें तो मिठास के लिए चीनी, खट्टा बनाने के लिए इमली या कोकुम और तीखा बनाने के लिए लाल या हरी मिर्च मिला सकते हैं। सारी सामग्री को एक साथ पीसकर मिला लें। इसी तरह नारियल, धनिया, टमाटर व इमली आदि से भी चटनियाँ बनती हैं, जिन्हें उसी समय खाया जाता है।

10- लहसुन
- आरोग्य प्रदान करनेवाला तत्त्व-एलीसिन।
- ली जानेवाली मात्रा-एक या दो कली लहसुन, कुचलकर या पीसकर प्रतिदिन लें।
- यह कैसे मदद करता है-
- यह दिल के रोगों के खतरे को 76 प्रतिशत तक घटा देता है, कॉलेस्ट्रॉल के स्तर को संयमित रूप से घटाते हुए रक्त को पतला करता है।
- यह एंटी-ऑक्सीडेंट का अद्भुत स्रोत है, जो कार्सीनोजन (carcinogen) को बाहर निकालकर कैंसर से लड़ता है, ताकि ये आपकी कोशिकाओं के डी. एन.ए. को नुकसान न कर सकें।
- इसमें एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरिया गुण पाए जाते हैं, जो सर्दी, बुखार व खाँसी आदि से राहत देते हैं।
- इसे लेने का सबसे बेहतर उपाय- अगर आप इसे कच्चा नहीं खा सकते तो अपने सूप, सब्जी, सलाद और सब्जियों के जूस में मिलाएँ।
इलाज से परहेज बेहतर
- ‘भारतीय भोजन चिकित्सीय गुणों से भरपूर है और परहेज व इलाज की बात आए तो यह पौष्टिकता के लिहाज से बेजोड़ माना जाता है। हमारे परिवार में वर्षों से भारतीय भोजन को प्रमुख आहार के रूप में प्रयुक्त किया जाता रहा है और मैं लोगों को भी प्रेरित करता हूँ कि वे अपनी सेहत बनाए रखने के लिए इस अद्भुत पाक-कला का प्रयोग करें।’

11- हल्दी
- आरोग्य प्रदान करनेवाला तत्त्व-करकुमिन।
- ली जानेवाली मात्रा-एक छोटा चम्मच हल्दी या प्रतिदिन एक गोली करकुमिन।
- यह कैसे मदद करता है-
- यह कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि से होनेवाली सूजन को घटाती है और लहसुन की तरह कार्सीनोजन को समाप्त करने में मदद करती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रुक जाती है।
- पशुओं पर हुए अध्ययनों से पता चला है कि इससे बीटा-एमिलॉयड (beta-amyloid) का निर्माण घट जाता है, जिसके कारण अल्जाइमर के रोगियों के मस्तिष्क में जमाव करनेवाले तत्त्व पैदा होते हैं।
- एक अद्भुत एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल व एंटी-फंगल के रूप में यह सर्दी व खाँसी करनेवाले संक्रमण से राहत देती है।
- इसे लेने का सबसे बेहतर उपाय-
- कुनकुने पानी में आधा छोटा चम्मच हल्दी डालकर लें। आप बच्चों के दूध में बाजार
- में मिलनेवाले पाउडर मिलाने की बजाय उन्हें दूध में हल्दी डालकर पीने की आदत डलवा सकती हैं।
- आप गुड़ और हल्दी के छोटे लाडू भी बना सकती हैं. हालाँकि कैसर के रोगियों को चीनी या गुड़ खाने की इजाजत नहीं होती।

12- दालचीनी
- आरोग्य प्रदान करनेवाला तत्त्व-पोलीफिनॉल्स ।
- ली जानेवाली मात्रा-दिन में आधा या चौथाई चम्मच पिसी दालचीनी।
- यह कैसे मदद करता है-
- यह मधुमेह रोगियों में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है।
- यह मेटाबॉलिक दर को बढ़ाते हुए शरीर में वसा की खपत करता है।
- यह ट्राइग्लिसराइड और कॉलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाता है।
- दालचीनी एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। इस तरह यह कैंसर-युक्त कोशिकाओं पर रोक लगाती है।
- इसे लेने का सबसे बेहतर उपाय-
- पिसी दालचीनी को एक कप हरी चाय में डालें और एंटी-ऑक्सीडेंट की दोहरी खुराक का आनंद लें।
- आप अपनी सब्जी या सूप में भी एक इंच दालचीनी का टुकड़ा डाल सकती हैं। चावल में भी इन्हें डालने से अनूठा स्वाद आता है।
- गुनगुने नीबू पानी में एक चम्मच दालचीनी का पाउडर डालें। इसे सुबह-सुबह पिएँ। इससे आपका मेटाबालिज़्म तंत्र अधिक मजबूत और सक्रिय होगा।
करी के बारे में कुछ रोचक तथ्य
- 1700 ई.पू. के लगभग बेबीलोन में मिली तख्तियों पर मांस, सब्जी व ब्रेड से बनी मसालेदार सॉस च करी का विवरण अंकित है। ये हजारों सालों से तैयार की जाती रही हैं और भारतीय करी में सेहत के लिहाज से अनेक गुण पाए जाते हैं। साक्ष्यों से पता चला है कि यह दिल के लिए बहुत गुणकारीहै,
- मधुमेह रोगियों पर सकारात्मक प्रभाव डालती है और कैंसर कोशिकाओं तक का भी सफाया कर देती है।
